ये कहानी सुनो मरते दम तक ब्रह्मचर्य नष्ट नहीं करोगे- Real Life Motivational Story !
दोस्तों
मेरे पास इन्स्त्रग्राम पर एक लड़के का
मैसेज आता है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़ी ब्रह्मचर्य नाश की कहानी को शेयर करता
है। उस लड़के का नाम है रोहित । रोहित जब 13 साल का था तो एक बार उसके
दोस्त रोहन ने उससे कहा की चलो रोहित आज मैं
तुम्हें जंगल में लेकर चलता हूँ वहाँ पर मुझे एक बहुत जरुरी काम है। रोहित अपने दोस्त रोहन के साथ जंगल की तरफ चल देता है
जब वो दोनों लोग घने जंगल में पहुँच जाते हैं।
तो रोहन
रोहित से कहता है की यार अब चला नहीं जाता, चलो एक पेड़ के नीचे बैठ के
थोड़ी देर आराम कर लें। दोनों लोग पेड़ की छांव में बैठ जाते हैं। थोड़ी देर बैठने के
बाद रोहन रोहित से कहता है की चलो आज मैं
तुम्हें खुली आँखों से स्वर्ग का मज़ा दिलवाता हूँ। रोहित कहता है वो कैसे रोहन कहता है जैसे मैं करूँ
वैसे ही तुम करना रोहित कहता है ऐसा क्या
तुम करने वाले हो हम उन कहता है बस तुम देखते जाओ।
इतने
में रोहन अपने मुद्रय इन्द्रिया को बाहर निकाल लेता है और उसे पकड़कर हिलाने लगता है। रोहन रोहित से कहता है तुम भी मेरी तरह करो रोहित ये सब देखकर बहुत ज्यादा डर जाता है और वहाँ से
भाग खड़ा होता है पर रोहन उसको पकड़ लेता है। रोहन जबरदस्ती रोहित की मूत इन्द्रिय को पकड़कर हिलाने लगता है। रोहित को अब मज़ा आने लगता है और थोड़ी देर के बाद उसका
ब्रह्मचर्य नष्ट हो जाता है। अब तो उन दोनों का
रोज़ का
ये सिस्टम हो गया। ऐसे करते करते उन्हें तीन महीने गुजर गए। इसके बाद रोहित के पास एक ऐन्ड्रॉइड मोबाइल आता है और रोहित अपने दोस्त को बता देता हैं की उसके पापा ने उसे
ऐन्ड्रॉइड मोबाइल गिफ्ट किया है। कुछ दिनों बाद रोहन रोहित के घर आता है और रोहित को अश्लील वेबसाइट के बारे में बता देता है। जब रोहित
वेबसाइट की दुनिया में अपना पहला कदम रखता
है तो फिर वो प्रतिदिन बिना गायब कि ये सातों दिन उन विडियोज को देखकर ब्रह्मचर्य
नष्ट करने लगता है।
ऐसे
करते करते उसे 4 साल
हो जाते हैं। उसके शरीर की पूरी तरह से बैंड बज जाती है। उसके अंदर इतनी कमजोरी आ
गई थी की चलते चलते ही उसे चक्कर आ जाते थे। आँखों के सामने काला अंधकार सा छा
जाता था। वो इतना पतला हो गया था कि उसके शरीर से हड्डियाँ तक चमकने लगे थी मानो
केवल कंकाल ही बचा हो। 17 साल की उम्र में उसका शरीर सूख के
कांटा हो चुका था। उसकी जिंदगी नरक बन चुकी थी।
उसकी
विवेक शक्ति का ना सो रहा था। उसके दिमाग में पूर्ण रूप से अश्लीलता का कचरा भर
चुका था। वो हर एक स्त्री को भोग की दृष्टि से देखने लगा। फिर चाहे वो उसकी माँ हो
या बहन। उसकी मानसिकता बदल चुकी थी। जब भी कोई त्योहार आता उसे किसी भी प्रकार की
खुशी नहीं होती क्योंकि आनंद की लहर दौड़ाने वाला रूपी अमृत तो उसके शरीर में
नाममात्र ही बचा था। एक बार रोहित की माँ
ने कहा बेटा तुम्हे कोई बिमारी तो नहीं लग गयी?
तुम्हारा
शरीर प्रतिदिन सूखता चला जा रहा है। खाना शरीर में लगता नहीं है । क्या तुमने अपने
चेहरे की हालत पर ध्यान दिया है?
एकदम पीला सा पड़ गया है। रोहित ने माँ की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। उत्तर
देता भी कैसे? सारा तेल अगर दीपक से निकाल दोगे तो प्रकाश
कहाँ से आएगा? रोहित की माँ समझ गईं कि कुछ तो गडबड है। उन्होंने रोहित
से कहा कल मैं तुम्हें लेकर एक बहुत ही
पहुंचे हुए महात्मा के पास लेकर जाउंगी। वो तुम्हारी समस्या का समाधान करेंगे।
रोहित की माँ अपने बेटे को लेकर महात्मा जी के पास जा
पहुंची और महात्मा जी को रोहित की समस्या
के बारे में बताया। महात्मा जी ने रोहित की माँ से कहा की आप कुटिया में ही रहिये, मैं रोहित से अकेले में बात करना चाहता हूँ। महात्मा जी रोहित
को लेकर एकांत में जा पहुंचते हैं और रोहित
से बड़े प्यार से पूछते हैं की बेटा क्या
बात है? तो रोहित ने
रोते हुए अपने जीवन से जुड़ी सारी घटनाओं को कह सुनाया। महात्माजी ने कहा।
बेटा
धीरज से काम लो मैं तुम्हें कुछ ऐसी बातें बताऊँगा जिनको अगर तुम अपने जीवन में
उतारोगे तो तुम जल्द ही पहले की तरह सवस्थ हो जाओगे। महात्माजी ने रोहित से कहा कि तुम्हारे मन में गंदगी की परत जम चुकी
है, इस को जड़ से खत्म करना होगा।
इसके लिए मैं तुम्हें एक मंत्र के बारे में बताता हूँ। उसके जाप से तुम्हारे मन की शुद्धि होगी। मंत्र कुछ इस
प्रकार है जनकसुता जग जननी जानकी।
अतिसय प्रिय
करुणानिधान की, ताके जुग पद कमल मनावऊँ जासु कृपा निरमल मति पावऊँ । इस मंत्र को
तुम्हे नित्य प्रति ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान की अवस्था में कम से कम एक माला का
जाप नित्य करना है। कुछ ही दिनों में तुम्हे फरक देखने को मिल जाएगा। मन को जल्द
से जल्द सही मार्ग पर लाने के लिए तुम्हें तिरुवनंतपुरम आयाम को भी करना होगा।
प्राणायाम से तुम्हारा मन सही मार्ग पर चलेगा, जैसे घोड़े को सही मार्ग पर लाने के लिए।
जबुक काम आता है, वैसे ही इस मन रूपी घोड़े को काबू करने के लिए
प्राणायाम रूपी चाबुक काम आता है। इसीलिए रोहित तुम्हें मन की निर्मलता ही केवल बचा सकती है।
इसीलिए सबसे पहले तुम अपना चिंतन शुद्ध करो और शरीर को जल्द से जल्द सवस्थ करने के
लिए रात के समय एक ग्लास दूध में एक चम्मच
अश्वगंधा चूर को मिला के तुम्हें नित्य प्रति सोने से एक घंटा पहले पीना है और
केवल सात्विक भोजन ही करना है।
और
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मंत्र जाप, योग, प्राणायाम,
व्यायाम, मेडिटेशन को नित्य करना है। इन
नियमों को अपनाकर तुम जल्द से जल्द सवस्थ हो जाओगे ये मेरा विश्वास है।
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