पांच आदतें जो सबसे सफल लोगों में होती हैं|Power Of Habits
एक बार एक प्रसिद्ध महात्मा के पास एक व्यक्ति आता है और कहता है महात्मा मुझे आपसे एक प्रश्न पूछना है। महात्मा ने कहा पूछो क्या प्रश्न है तुम्हारा व्यक्ति ने कहा हम सभी लोगों के पास दो हाथ, दो पैर, एक दिमाग और 24 घंटे का समय होता।
लेकिन
कुछ थोड़े से लोग बहुत ज्यादा सफल हो जाते हैं। सभी उनकी इज्जत करते हैं, उनसे दोस्ती करना चाहते हैं,
उनके साथ समय बिताना चाहते हैं, लेकिन
ज्यादातर लोग सिर्फ सफलता की चाहत लिए और एक सामान्य सा जीवन जी कर ही इस दुनिया
को अलविदा बोल देते है तो आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या फर्क
है? दोनों प्रकार के लोगों में व्यक्ति का प्रश्न सुनने के
बाद महात्मा मुस्कुराये और बोले सफल और असफल व्यक्ति में केवल एक ही चीज़ का फर्क
होता है और वो है उनकी आदतें। तुम हर रोज़ क्या चुनते हो?
इसी से निश्चित होता है कि तुम क्या बनोगे? अगर तुम आराम, आलस्य और छोटे कामों को चुनते हो तो असफलता निश्चित है। लेकिन अगर तुम हर
रोज़ मेहनत, अनुशासन, लगन, चुनौती और मुश्किल कामों को चुनते हो तो तुम्हारी सफलता भी निश्चित है।
लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग अनजाने में ही अपने आसपास के माहौल, माता पिता और लोगों की वजह से ऐसी आदतों और दिनचर्या के साथ बड़े हुए हैं
जो उन्हें सफल होने से रोकती है और ऐसा इंसान नहीं बनने देती जैसा वो बनना चाहते
हैं। ज्यादातर लोग सिर्फ खाने
पहने , घूमने, छोटे
मोटे काम करनी और फिर मर जाने तक के बारे में सोच पाते हैं क्योंकि वो लोगों को
यही सब करते देखते बड़े हुए है। तो ऐसे लोगों की जिंदगी में चमत्कारिक बदलाव केवल
तभी आ सकते हैं जब वो अपनी सोच, दिनचर्या और रोज़ की आदतों
में बदलाव लाएं। व्यक्ति ने कहा महात्मा आपने आदतों के महत्त्व के बारे में बात की
तो क्या आप मुझे ऐसी पांच आदतों के बारे में बता सकते हैं जिन्हें अपनाने से मैं
ना केवल आर्थिक रूप से सफल बनु बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनूँ? समाज में मेरी इज्जत हो
लोग
मेरे काम से प्रेरणा ले और आने वाली पीढ़ी के लिए मैं एक अच्छा उदाहरण पेश कर सकूँ।
महात्मा
ने कहा, बिल्कुल, आज मैं तुम्हें जिन पांच आदतों के बारे में बताने जा रहा हूँ, उनका प्रभाव तुम्हें तुरंत नहीं दिखेगा, लेकिन अगर
तुम इन पांच आदतों को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हो तो तुम दुनिया के 99%
लोगों से हमेशा आगे रहोगे और सफलता तुम्हारे कदम चुमेगी महात्मा ने
कहना शुरू किया पहली आदत अपनी सुबह का नियंत्रण अपने हाथों में लो। हर सुबह हमारे
पास दो विकल्प होते हैं। पहला कि हम सोते हुए लगातार सपने देखते रहें या फिर सुबह
जल्दी उठकर
उन
सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करे। लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग पहला
विकल्प चुनते हैं और खुद को बिस्तर के आराम से निकलने नहीं देते और जब यह देर से
सोकर उठते हैं उसके बाद भी अपना सुबह का बचा हुआ समय फालतू के कामों जैसे इधर उधर
घूमना या बैठकर दोस्तों या घर वालो के साथ गप्पे मारने में निकाल देते हैं और ये
एक असफल वो शिकायत करने वाले व्यक्ति की पहली निशानी है लेकिन अगर तुम सफल होना
चाहते हो तो सुबह जल्दी उठकर पहले 2 घंटे खुद पर लगाओ, कम
से कम 20 मिनिट
एकांत में पैदल घूमने के लिए जाओ। ऐसा करना तुम्हारे
दिमाग में नए और सकारात्मक विचारों को जगह देगा। उसके बाद 20 मिनट का ध्यान करो। यह
तुम्हें दिनभर शांत और प्रसन्नचित रखेगा। कम से कम 30 मिनट
रोज़ व्यायाम करो। इससे तुम्हारा शरीर ताकतवर और ऊर्जावान बनेगा। ये तुम्हारे
आत्मविश्वास को बढ़ाता है। रोज़ सुबह 15 मिनिट सूर्य की रौशनी
शरीर पर पड़ने दूँ। ऐसा करना तुम्हें निरोगी रखने के साथ साथ तुम्हारी निराशा भरी
मानसिकता को कम कर तुम्हारे अंदर आशा और उम्मीद बढ़ाता है।
रोज़
सुबह कम से कम 30 मिनट
से 1 घंटे का समय उस काम के बारे में पढ़ने या सीखने में लगाव
जिससे क्षेत्र में तुम सफल होना चाहते हो। रोज़ सुबह के 1 घंटे
का यह अभ्यास तुम्हें उसी क्षेत्र में काम कर रही अन्य लोगों से बहुत आगे लाकर खड़ा
कर देगा। सुबह के 5 घंटे सबसे ज्यादा ऊर्जावान होते हैं
इसीलिए इस समय किसी दूसरे के हाथ मत आओ। सुबह के इस समय को खुद को बेहतर बनाने और
अपने लक्ष्यों को पूरा करने में लगाओ। दिन के सबसे मुश्किल काम को सुबह सुबह ही
खत्म करने की आदत डालो ये आदत तुम्हें चिंतामुक्त और मन को हल्का रखेगी।
अपने
सुबह के कुछ घंटे सफल बनाओ और ये तुम्हें सफल बना देंगे। लेकिन दोस्त तुम सुबह
जल्दी उठकर इन आदतों को अपनाना इतना आसान नहीं है। इसके लिए पहले हमें अपना माइंड
सेट डेवलप करना पड़ेगा और सुबह जल्दी उठने के लिए आपके माइंड सेट को डेवलप करने में
आपकी हेल्प करेंगे। दो बुक जिसमें से
पहले ही बुक का नाम है द मिरेकल मोरनी और दूसरी बुक है फाइव एम क्लब। ये दोनों ही
बुक्स हमें सिखाती है कि दुनिया के सबसे सफल लोगो का रूटीन कैसा होता है और कैसे
हम भी इस रुटीन को अपनाकर अपने जीवन में चमत्कारिक बदलाव ला सकते
महात्मा
ने कहा, दूसरी आदत हर किसी के लिए हर
समय उपस्थित रहना बंद करो।
अगर
तुम हर किसी के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाते हो तो इसका मतलब है कि तुम्हारे जीवन
में कोई बड़ा लक्ष्य नहीं है। ऐसा करके तुम लोगों की नजरों में अपना मूल्य खो देते
हो। लोग तुम्हें गंभीरता से नहीं लेते, इसीलिए ऐसे इंसान को अपना समय देना बंद करो
जो तुम्हारी इज्जत नहीं करता और तुम्हें फालतू इंसान समझता है। ध्यान रखो अगर हर
इंसान अपनी मर्जी के अनुसार तुम्हारे समय का उपयोग कर रहा है और तुम सभी के लिए
आसानी से उपलब्ध हो तो तुम कभी भी एक प्रभावशाली व्यक्ति नहीं बन सकती। तुम्हारी
इस कमी की वजह से
लोग
तुम्हारी अच्छाइयों पर भी ध्यान नहीं देंगे और तुम्हें हल्के लेंगे। लेकिन इसकी
जगह अगर तुम समझदारी के साथ अपने समय का सही उपयोग करके अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते
रहो गे तो लोग तुम्हारी इज्जत भी करेंगे और तुम से प्रेरणा भी लेंगे। ध्यान रखो
सूरज की अनुपस्थिति में ही लोग उसकी कीमत को जान पाते हैं। जीतने लंबे समय तक
बरसात के बादल रहेंगे, उतनी ही ज्यादा लोगों के अंदर सूरज को देखने की चाहत बढ़ेगी। गर्मी में
ज्यादा धूप के कारण लोग जी सूरज को नापसंद करते हैं। सर्दी और बरसात में लोग उसी
सूरज का इंतजार करते हैं।
लेकिन
तुम्हें सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए अपनी उपस्थिति को कम नहीं करना बल्कि
तुम्हें कम उपस्थित रहना है क्योंकि तुम अपने समय की इज्जत करते हो और अपने काम को
लेकर गंभीर हो। महात्मा ने आगे कहा, तीसरी आदत जल्दी निर्णय लेना सीखो। कमजोर
विचारों वाले लोग हर निर्णय को लेने में समय लगाते हैं, लेकिन
जो उच्च प्रदर्शन करने वाले लोग होते हैं वो जल्दी निर्णय करते हैं और काम पर लग
जाते हैं। जल्दी निर्णय लेने वाला इंसान देर से निर्णय लेने वाली इंसान से हमेशा
आगे रहता है क्योंकि देर से निर्णय लेने वाला इंसान जब तक सोचेगा
और हर
संभावित विकल्प के बारे में विचार करेगा तब तक एक निर्णायक व्यक्ति निर्णय लेकर
काम भी शुरू कर चुका होगा और जरूरत पड़ने पर खुद को या अपने योजना को बदल चुका
होगा। इसीलिए निर्णायक बनो तुरंत निर्णय करने की काबिलियत होना एक बहुत बड़ी ताकत
है। बिना ये जाने कि जो निर्णय मैं ले रहा हूँ वो 100% सही है या नहीं। मुश्किल समय में ऐसे
निर्णय लेने के लिए बहुत ही आत्मविश्वास और हिम्मत की जरूरत पड़ती है।
लेकिन
जल्दी निर्णय लेने का फायदा यह है कि किसी भी समय जरूरत पड़ने पर हम बदलाव कर सकते
हैं। अक्सर लोग यह कहते हैं कि जानकारी एक ताकत है, लेकिन यह हर समय सही नहीं है। ज्यादा जानकारी
तुम्हें नुकसान भी पहुंचा सकती है। अगर तुम अपना बहुत ज्यादा समय जानकारी इकट्ठा
करनी, सोचने और योजना बनाने में लगा रहे हो तो इसका मतलब है
कि तुम सबसे कम समय उस काम को करने में लगने वाले हो। इसीलिए किसी भी काम के बारे
में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की जरूरत नहीं है। कुछ समय ले कर ठीक से सोच लो,
लेकिन जब एक बार निर्णय ले लिया
तो उसी
के साथ चिपके रहो जब तक कि उसे बदलना बहुत ही जरूरी ना हो जाए। जल्दी लिया गया अधूरा
निर्णय भी उस सही निर्णय से ज्यादा सही है जो समय निकलने के बाद दिया गया है।
रोज़मर्रा के ज्यादातर निर्णय उससे भी कम समय में दिए जा सकते हैं। जितना समय हम
उन्हें देते है, जल्दी
निर्णय लेना। सीखने का केवल एक ही तरीका है कि जीतने हो सके, उतने ज्यादा निर्णय लो और उनसे सीखो ना कि सिर्फ जानकारी लेते रहो और सोच
विचार कर खुद को एक समझदार व्यक्ति बनने का इंतजार करते रहो। चौथी आदत सही त्याग
करना सीखो।
तुम
चाहो या न चाहो तुम्हे हमेशा किसी ना किसी चीज़ का त्याग करना ही पड़ेगा। अगर तुम
अपने लक्ष्य के लिए त्याग नहीं करते तो तुम्हें अपने लक्ष्य का त्याग करना पड़ेगा।
जब तुम अपना समय बर्बाद कर रहे होते हो तब भी तुम अपने संभावित सुनहरे भविष्य का
त्याग कर रहे होते हो। इसीलिए तुम्हें सही चीज़ को छोड़ना आना चाहिए। अगर तुम्हे सफल
होना है तो कई बार तुम्हें अपने मित्रों का त्याग करना पड़ेगा जो तुम्हें पीछे
खींचते है। तुम्हें कुछ समय के लिए अपने आराम पसंदीदा खाने, घर और रिश्तेदारों का भी त्याग
करना पड़ सकता है। लेकिन ये त्याग हर समय आसान नहीं होता।
खासकर
जब तुम जवान होते हो तो तुम्हें लगता है कि मैं अपने आराम और खुशी को क्यों छोडूँ लेकिन
सच्चाई यही है कि तुम्हें अपने आज के आराम और खुशी से आगे कुछ नहीं मिलने वाला, सिवाय दुख और पश्चाताप की।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम्हें हमेशा ही त्याग करना पड़ेगा और तुम्हारा
पूरा जीवन नीरस हो जायेगा। ये त्याग सिर्फ कुछ समय के लिए हैं लेकिन एक बार जब तुम सफल हो जाओगे तो तुम्हे
उतने त्याग नहीं करने पड़ेंगे जितने तुम्हें आज करनी पड़ रही है। लेकिन समस्या यह है
कि ज्यादातर लोगों को तुरंत ही खुशी और सफलता चाहिए।
जो
उन्हें आज छोटे मोटे त्याग करने से भी रोकती है। लेकिन त्याग का दूसरा पहलू ये भी
है कि एक इंसान के रूप में तुम अपने सर्वोच्च क्षमता तक पहुँच सकते हो और वो सब
कुछ हासिल कर सकते हो जिसके तुम सपने देखते हो। इसीलिए सही चीजों का त्याग करना
सीखो। महात्मा ने आगे कहा, पांचवीं आदत अनुशासित रहो, जितनी भी बाते अभी तक
मैंने बताई है, वो सब बे मतलब है। अगर तुम्हारे अंदर अनुशासन
नहीं है तो हर इंसान अनुशासन के महत्त्व को जानता तो हैं लेकिन वो फिर भी अनुशासित
नहीं रह पाता। अनुशासन की बातें करना।
और इसे
जीवन में उतारना दो। बिल्कुल अलग चीजें हैं लेकिन एक अनुशासित जीवन जीना इतना
मुश्किल भी नहीं है जितना यह लगता है। अगर तुम खुद के प्रति ईमानदार हो तो यह बहुत
आसान है। तुम हर रोज़ वह काम करना शुरू कर दो जो तुम्हें लगता है कि तुम्हें करना
चाहिए, फिर चाहे तुम्हारा वो करने का
मन कर रहा हो या ना कर रहा हो। शुरुआत अपने बिस्तर से करो। सुबह जैसे ही नींद खुली
की तरह पड़े रहने की बजाय तुरंत बिस्तर छोड़ दो, कसरत करो,
स्नान करो, ध्यान करो फिर अपने सबसे जरूरी काम
करो। अनुशासन हमें हमारे लक्ष्य की ओर केंद्रित रखता है।
हमारा
खुद पर नियंत्रण बढ़ता है। हम विपरीत परिस्थिति में भी खुद को शांत रख सकते हैं।
अनुशासन एक धागे की तरह होता है। जितनी बार लपेतोगे उतना मजबूत होता चला जायेगा। अनुशासन की कमी
हमारे आत्मविश्वास को भी कमजोर बनाती है और कमजोर आत्मविश्वास के साथ कोई भी इंसान
अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं कर सकता। इसीलिए अपने अंदर की कमजोरियों के खिलाफ़ लड़ते हुए
रोज़ अपने अनुशासन को मजबूत करते चले जाओ क्योंकि अनुशासन के द्वारा ही दूसरी अन्य
आदतों का अपनी सफलता के लिए उपयोग किया जाता हैं
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