कलयुग
दोस्तों, वर्तमान
समय में हम जीस युग में जी रहे हैं, उसे कलयुग कहा गया है, चारों युगों
में कलयुग को शापित युग कहा गया है, धर्म शास्त्रों में भी इस बात का स्पष्ट वर्णन है, कि जब कलयुग
अपने चरम पर पहुंचेगा तब इस धरती से धर्म का नाश हो जाएगा, और उस वक्त
भगवान विष्णु कल्कि के रूप में इस धरती पर अवतरित होकर कलयुग का
अंत करेंगे और पुनः धर्मयुग की स्थापना करेंगे,
पर दोस्त क्या आपको पता है, कि भगवान
श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में ही बता दिया था कि आने वाला समय यानी की कल युग कैसा
होगा? इतना ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण ने कलयुग के पांच कड़वे सत्य
भी बताये थे जो आज कलयुग में देखने को मिल रहे हैं दोस्तों कौन से हैं वो पांच कड़वे
सत्य अगर आप भी जानना चाहते हैं तो इस वीडियो में अंत तक जरूर बने रहियेगा और अगर अब
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किये स्टार्ट करते है दोस्तों महाभारत काल में जब पांडव दोत क्रीड़ा में अपना सबकुछ
गंवा देते हैं तब उन्हें बनवास जाना पड़ता है बनवास जाने से पहले पांडव भगवान श्रीकृष्ण
से मिलते हैं और उनसे कहते है की हे भगवन
दोत क्रीड़ा
में सब कुछ गवाने के बाद अब हम पांच भाई द्रौपदी
सहित बनवास जा रहे हैं लेकिन बनवास जाने से पहले? हम यहाँ जानने के लिए उत्सुक
हैं कि आने वाला युग यानी की कल युग कैसा होगा,
उस समय के मनुष्य कैसे होंगे, लोगों के विचार कैसे
होंगे और मोक्ष की प्राप्ति कैसे होगी? पांडवों के मुँह से ये
सारी बातें सुनकर भगवान श्रीकृष्ण थोड़ी देर सोच विचार करते हैं और फिर पांडवों से कहते
हैं, पहले आप सभी बन जाये और बन में जो कुछ भी आपको दिखाई दे
वो मुझे आकर बताइए तब मैं आपको इन सभी प्रश्नों का जवाब दूंगा अब भगवान श्रीकृष्ण के
कहे अनुसार पांचों पांडव भाई वन में चले गए और वन में जो कुछ भी उन्हें दिखाई दिया
उसे देखकर वे हैरान रह गए उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था कुछ समय बिताने
के बाद वे सभी वापस से भगवान श्रीकृष्ण के पास लौटते हैं लेकिन इस बार पांडव के मस्तक
पर शिकन था और वे किसी उलझन में पड़े हुए नजर आ रहे थे जब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों
की ऐसी दशा देखी तो उनसे रहा नहीं गया भगवान ने कहा आप सभी की सोच विचार में मग्न है,
हमें बताएं अगर संभव होगा तो हम उसका समाधान अवश्य करेंगे भगवान श्रीकृष्ण
के मुँह से यह
बात सुन कर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने हाथ जोड़कर कहा
हे माधव हमारी शंका वन में दिखे उन दृश्यों को लेकर है जिसकी कल्पना हमने सपने में
भी नहीं की थी इस पर भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, आप सभी एक एक करके मुझे विस्तार
से बताएं कि आपने वन में क्या देखा? इस पर युधिष्ठिर सबसे पहले
कहते हैं द्वारका नरेश हम सभी पांडव भाई वन में पहुँचकर अलग अलग दिशाओं में भ्रमण के
लिए निकल गए थे जब मैं अकेले बंद में भ्रमण कर रहा था तो मैंने वन में दो सूंड वाले
एक हाथी को देखा अब आप मेरी इस शंका को दूर कीजिए कि भला एक हाथी के दो स्वर्ण कैसे
हो सकते हैं? अब अर्जुन की बारी होती है अर्जुन बताते हैं कि
उन्होंने वन में एक ऐसे पक्षी को देखा है जिसके पंख पर वेद की रचनाएं लिखी हुई थी और
वह मुर्दे का मांस खा रहा था अर्जुन के बाद भीम बताते हैं कि उन्होंने में एक ऐसे गाय
को देखा जो अपने बछड़े के जन्म के बाद उसे इतना चाट रही थी कि उसके शरीर से खून आने
लगता है इसे देखकर मैं हैरान रह गया कि कोई माता अपने बच्चे के साथ ऐसा कैसे कर सकती
हैं? आप भगवान श्रीकृष्ण सहदेव से पूछते हैं कि सहदेव तुमने वन
में क्या देखा है? इस पर सहदेव बोलते
है की मैंने वन में जगह बहुत से कुएं को देखा लेकिन हैरानी की
बात यह थी कि जहाँ आसपास के सभी कुओं में पानी था, वहीं बीज का कुआं पूरा
खाली था बीच का कुआं गहरा भी है, फिर भी उसमें पानी नहीं है ऐसा
कैसे संभव है? अब नकुल आगे बताते हैं कि जब वे बन में भ्रमण कर
रहे थे तब उन्होंने एक भारी चट्टान को पर्वत से लुढ़कते हुए देखा और चट्टान रस्ते में
ना जाने कितनी ही विशाल वृछ और शिलाओं से टकराती
है, पर उसे कोई रोक नहीं पाता लेकिन अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे
किस वर्ष सेवा चट्टान दुब जाती है? अब ये दृष्टि भगवान श्रीकृष्ण
से कहते है की ये वासुदेव हम भाइयों ने वन में जो कुछ भी देखा, वह सारा विस्तार से आपको बता दिया अब आप हमारी शंकाओं को दूर करते हुए इन सभी
दृश्यों का अर्थ बताईये इस पर भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते धर्मराज जैसा कि आपने
बताया आप दो सूंड वाले हाथी को देखकर सोच में पड़ गए, लेकिन धर्मराज
इसमें हैरान होने वाली बात नहीं है क्योंकि कलयुग में ऐसे लोग ही राज्य करेंगे जो बोलेंगे
कुछ और और करेंगे कुछ और इनके मन में कुछ और और कर्म में कुछ और होगा ये लोग शोषण करने
का एक भी मौका हाथ से जाने नहीं देंगे ये
बस अपने हित की ही बात सोचेंगे अब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से
कहते है की ये पांडु पुत्र अर्जुन तुमने वन में एक ऐसे पक्षी को देखा है जिसके पंखों
पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई थी, लेकिन वह मुर्दे का मांस खा रहा था तो इसका
मतलब यह है कि कलियुग में ऐसे ही लोग होंगे जो कहने को तो विद्वान, ज्ञानी पुरुष कहलायेंगे किंन्तु इनका आचरण राक्षसी होगा उनके मन में यही होगा
कि जल्दी किसी की मृत्यु हो और उसकी संपत्ति का मालिक वे खुद बन जाए कलियुग में मनुष्य के लिए सबसे ऊपर
धन और संपत्ति होगा और बस कुछ गिने चुने ही वास्तविक संत होंगे इसके अलावा कलयुग में
ज्यादातर इंसान अपनों को ही थक कर आगे बढ़ने के विचार में होंगे अर्जुन के बाद भगवान
श्रीकृष्ण भीम से कहते हैं कि ये भीम जैसा कि आपने देखा है एक गाय अपने बछड़े को इतना
चाटती है कि उसके शरीर से खून आने लगता है ठीक उसी तरह कलयुग का मनुष्य भी अपने संतान
पर इतना प्यार लौट आएगा उसके बच्चे का विकास रुक जाएगा एक माता की ममता अपनी औलाद को
मोह, माया और संसार में इस तरह बांध कर रख देगी कि उसके बच्चे
का जीवन नष्ट हो जाएगा अगर किसी का बेटा घर द्वार छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति
उसके दर्शन को जाएंगे, किंतु यदि अपना बेटा साधु बनेगा
तो वो रोयेंगे विलाब करेंगे कि मेरा बेटा गलत
रास्ते पर चला गया दोस्तों यहाँ भगवान श्रीकृष्ण जीवन की वास्तविकता को बताते हुए कहते
हैं कि इंसान को यह समझना होगा कि तुम्हारे पुत्र तुम्हारे नहीं बल्कि उनकी पत्नियों
क्या अमानत है और पुत्रियां उनके पतियों की
और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की और आत्मा परमात्मा की अमानत है? भीम की जिज्ञासा को शांत करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण सहदेव से कहते हैं सहदेव
जैसा कि तुमने वन में देखा कि एक साथ कई कुएं थे, लेकिन सिर्फ
बीच वाला कुआं ही खाली था, इसका मतलब यह है कि कलयुग में धनी
व्यक्ति अपनी मन की खुशी के लिए अपने यहाँ विवाह उत्सवों में धन खर्च करेंगे परंतु
अपने आस पड़ोस किसी गरीब को देखकर उसकी मदद नहीं करेंगे फिर चाहे वह गरीब उनका अपना
सगा ही क्यों ना हो अपनी मौज मस्ती के लिए खुद को खुश रखने के लिए वे शराब कबाब,
फैशन और व्यसन में पैसे उड़ायेंगे किंतु किसी के आंसू को पोंछना वे अपना
कर्तव्य नहीं समझेंगे कलयुग में अन्न तो होगा और धनी लोग उसका उपभोग भी करेंगे,
लेकिन गरीब एक एक दाने के लिए और ऐसे ही मर जाएंगे भगवान श्रीकृष्ण
की या सारी बातें सुनकर सह देव थोड़े दुखी हो जाते हैं, लेकिन इस
कटु सच के सामने वो क्या ही कर सकते थे? अब भगवान श्रीकृष्ण नकुल
से कहते हैं कि नकुल जैसा कि तुमने वन में देखा एक भारी चट्टान पर्वत से लुढ़ककर कई
विशालकाय वृक्षों एवं शिलाओं से टकराती है पर कोई भी उसे रोक नहीं पाता, लेकिन एक छोटे से पौधे का स्पर्श उस चट्टान को रोक देता है इसका मतलब है कि
कलियुग में मनुष्य की बुद्धि छिश्र्ण होती जाएगी, उसके जीवन का
पतन होगा, लेकिन उसके पतन को धन रूपी वृक्ष नहीं रोक पाएगा पर
हरी नाम रूपी एक छोटा सा पौधा व्यक्ति के जीवन का पतन रोकने के लिए सक्षम होगा अतः
कलियुग में हरिनाम ही मोक्ष का एकमात्र मार्ग
होगा अगर व्यक्ति धन का लालच छोड़कर भगवान की भक्ति में रम जायेगा, हरी नाम का जाप करेगा तो निश्चय ही उसे कोई दुख तकलीफ नहीं होगा और मरने के
बाद भी उसे भगवान के चरणों में जगह मिले गी दोस्त अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि भगवान
श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए ये पांच कड़वे सत्य आज कलयुग में सच होते नजर आ रहे हैं ऐसे
में अगर आप भी अपने जीवन की सारी तकलीफों को दूर करना चाहते हैं तो आज से ही हरी नाम
का जप करना शुरू कर दें तो दोस्तों
इस वीडियो में फ़िलहाल इतना ही उम्मीद है आपको आज की यह वीडियो
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