मन में गंदे विचार आते हैं
दोस्तों एक बार गौतम बुद्ध. अपने शिष्यों के साथ एक गांव की तरह जा रहे थे. तभी उन्होंने देखा की एक युवक बेहद गुस्से में पहाड़ी की तरफ जा रहा है. बुद्ध उसे देखते ही समझ गए. की या तो ये किसी की हत्या करने जा रहा है. या फिर खुद आत्महत्या करने. वो युवक जैसे ही पहाड़ी से कूदने जा रहा था. गौतम बुद्ध ने तुरंत उसका हाथ पकड़कर उसे खींच लिया. ये देख उस युवक ने कहा. आप मेरा हाथ छोड़ दें. मेरा जीवन है मैं इसे जैसे चाहूं वो कर सकता हूँ. आप मुझे मत रोको. बुद्ध ने कहा ठीक है. तुम जाओ, दोबारा से कूद जाना. लेकिन पहले दस मिनट रुक जाओ. दस बारह बारह लंबी सांस ले लो. और अपनी हथेलियों को खोल दो उसके बाद ही मैं तुम्हें दोबारा आत्महत्या करने दूंगा उससे पहले नहीं युवक बोला आप मुझे बेकार ही इतना परेशान कर रहे हैं मैं पहले से ही इतना परेशान हूँ
लेकिन अगर आप कहते हैं
तो ठीक है, मैं दस बारह बाद
लंबी सांसें ले लेता हूँ अपनी हथेलियां खोल देता हूँ उसके बाद आप मुझे आत्महत्या
करने से नहीं रुकेंगे उस युवक ने अपनी आंखें बंद की दस बार लंबी सांसें लीं उस
युवक ने अपनी आंखें बंद की दस बार लंबी सांसें लींअपनी हथेलियों को खोला और फिर
धीरे धीरे अपनी आंखें खोलीं फिर महात्मा बुद्ध ने कहा की ठीक है अब तुम जा सकते हो
वो युवक पहाड़ी की तरफ गया उसने जैसे ही कदम आगे बढ़ाएं,
पहाड़ी के नीचे देखा वो
देखते ही पीछे हट गया और वापस जाकर जाकर बुद्ध से बोला आप कौन हैं आप से तेजस्वी
व्यक्ति मैंने आजतक नहीं देखा अभी मेरे साथ क्या हुआ है क्या आप मुझे समझा सकते
हैं कुछ वक्त पहले तो मैं इस पहाड़ी से कूद जाता लेकिन अब एक उत्पन्न हो गया है बुद्ध
मुस्कुराए और बोले जब तुम पहाड़ी से कूदने वाली थे तब तुम्हारे अंदर क्रोध था क्रोध
सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर देता है हमारी बुद्धि उस वक्त काम करना बंद कर
देती उस समय तुम फिर वो करते हो जो तुम्हारा मन कहता है उस समय तुम क्रोधित तुम्हारा
मन एक जगह नहीं था उस समय तुम खुद को खत्म कर देना चाहते थे लेकिन जब तुमने अपनी आँखें
बंद करके लंबी साँसे और अपनी हथेलियों को खोला तब तुम्हारा दिमाग और मन दोनों शांत
हो गया और तुम्हारी नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में बदल गई, जिसके कारण तुम्हारी बुद्धि को नियंत्रण
प्राप्त हुआ और तुम सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकें
युवक बोला आप कौन हैं बुद्ध
ने कहा, ये जगत के लोग मुझे बुद्ध कहते हैं युवक बुद्ध
के चरणों में गिर गया और बोला की हे बुद्ध
आप मुझे अपनी शरण में शामिल कर लें मैं तो अपने पिता को सबक सीखाना चाहता था,
इसलिए आत्महत्या करने जा रहा था बुद्ध ने कहा की आत्महत्या करके कोई
इस शरीर के साथ कुछ भी नहीं कर सकता जब तक हमारे पास यह शरीर है हम कुछ भी कर सकते
हैं, लेकिन यदि यह शरीर नहीं होगा तो हम कुछ भी नहीं कर सकते
युवक कहता है आप सही कहते हैं बुद्ध लेकिन आप नहीं जानते, मेरे
पिता ने मुझे बहुत अपमानित किया है, वो मुझे हर बात पर टोकते
हैं, बचपन में वो मुझ से बेहद प्रेम करते थे उसके बाद
उन्होंने मुझे शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल भेज दिया मैं हमेशा सोचता था कि
मैं गहन अध्ययन करके उनका नाम रोशन करूँगा और मेरे पिता ये सब देख के बहुत खुश
होंगे जब मैं शिक्षा पूरी करके वापस आया तब मैंने अपने पिता को बताया कि मैंने
सारे शास्त्र वेद, उपनिषद
कंठस्थ कर लिया हैं और मुझसे बड़ा ज्ञानी
कोई नहीं है तब वह खुश होने की जगह मुझसे कहते हैं कि अपने आप को ज्यादा ज्ञानी
होने के भ्रम में मत डालो ना ही खुद में अहंकार लाओ मैं तो उन्हें दिखाना चाहता था
की मैंने कितना गहन अध्ययन किया है मैं बड़ी बड़ी शास्त्रार्थ में जाने लगा सभी मेरे
ज्ञान से प्रभावित होने लगे सभी ने मुझे महान ज्ञाता माना, लेकिन
मेरे पिता ने नहीं माना वो मेरे शास्त्रार्थ के बीच पहुँच जाते हैं और मेरे बताए
गए ज्ञान में कुछ ना कुछ कमी निकालते हैं और सबके आगे मुझे अपमानित करते वो मेरे
साथ रहने वाले मित्रों को भी अपमानित करते थे यह कहकर कि वो मेरा जीवन बर्बाद कर
देंगे क्योंकि वो मेरा साथ देते थे, मेरे ज्ञान की प्रशंसा
करते थे मैं समझ नहीं पा रहा था की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं तब मेरे मित्रों ने
उससे कहा क्योंकि वो मेरे जितना ज्ञान अर्जित नहीं कर पाए इसलिए वो मुझसे इस्र्या करते हैं
एक दिन मेरी उपाधियों के कारण मेरे मित्रों ने मुझे मदिरा
पान कराया ये बात मेरे पिताजी को पता चल गई वो मुझे ढूँढते ढूँढते? वहाँ पहुँच गए और मुझे वहाँ सबके सामने थप्पड़
मार दिया मुझे बहुत अपमानित महसूस हुआ तब मैंने ये तय किया कि मुझे मेरे पिता जी
को सबक सीखाना और मैं यहाँ आत्महत्या करने आ गया क्योंकि एक पिता के लिए इससे बड़ा
सबक क्या होगा? जब वो अपने बेटे की अर्थी को उठाएंगे तब
उन्हें एहसास होगा की उन्होंने क्या गलती की है बुद्ध मुस्कुराए और बोले मुझे एक
बात बताओ जो ज्ञान तुम्हें आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करें तो वो ज्ञान किस
काम का? वो कहाँ से अच्छा हुआ? जो
तुम्हें एक गलत काम को करने से नहीं रोक पा रहा युवक ने कहा आप सही कहते हैं अब
मैं खुद अज्ञानी सा महसूस कर रहा हूँ आप मुझे अपनी शरण में ले मैं आप से ज्ञान
प्राप्त करना चाहता हूँ बुद्ध ने कहा तुम मेरे साथ चार दिनों तक रहना और उसके बाद
अपने पिताजी के पास जाना अपने पिता के घर तो मध्यरात्रि के बाद जाना और बिना किसी
हलचल के चुप चाप भीतर जाना तब तुम्हें जीवन का सबसे पहला ज्ञान मिलेगा वो युवक चार
दिनों तक बुद्ध के पास रहा और उसके अगले दिन पिता
के पास चला गया जब मध्यरात्रि वो अपने घर पहुंचा तो उसने
देखा कि उसकी माता जी बिस्तर पर बहुत बीमार पड़ी और युवक के पिता से कहती है कि
तुम्हारी सख्ती के कारण आज मेरा बेटा मुझसे दूर है अगर तुम इतने सख्त नहीं होते तो
वो आज घर छोड़कर नहीं जाता वो युवक अपने पिता की तरफ देखता है, वो देखता है कि जिनकी आंख में आज तक आंसू नहीं
देखे थे आज वो नम आँखों के साथ बैठे उसके पिता कहते हैं, मैं
उसे दुख नहीं देना चाहता था, बस उसके अंदर अहंकार ना आए,
उसे दूर करता था तभी उसके अंदर की कमियों को वहाँ जाकर बताता था
ताकि मुझे सुन कोई और भी उसे उसकी कमी बता सके और उसे अपने ज्ञान पर कभी घमंड ना
क्योंकि व्यक्ति का अहंकार उसे हमेशा ले डूबता है लेकिन उस भीड़ में मेरे सिवा कोई
नहीं होता था जो उसको उसकी गलतियों के बारे में बताएं तब मैंने तय किया कि मैं उसे
उसकी गलतियों से अवगत कराऊंगा लेकिन वो मेरी ना सुनकर हमेशा अपने मित्रों की सुनता
था और एक दिन जब उसने मदिरापान किया तब मेरा दिल दुखा और तब मुझे लगा कि शायद मेरी
परवरिश में कोई कमी थी मैं ही एक अच्छा पिता नहीं बन सका जो मेरे बेटे ने ऐसा किया
लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं उसे
कहीं से भी ढूंढकर ले आऊंगा जितना प्रेम तुम उससे करती हो
उससे ज़्यादा मैं उससे करता हूँ युवक की माता कहती हैं कि मैंने उसे हर जगह ढूंढा
लेकिन वह कहीं नहीं मिला मेरा मन कहता है कि यहाँ से कुछ दूर एक गांव में गौतम
बुद्ध रुके हैं, वो जरूर वही होगा
तुम उसे वहाँ जाकर देखो ये सारी बातें युवक वहीं खड़ा होकर सुन रहा था उसकी आँखों
से आंसू बह रहे थे वह चुपचाप वहाँ से चला गया और गौतम बुद्ध के पास पहुंचा और
बुद्ध से बोला, हे बुद्ध अगर आपने मुझे उस दिन आत्महत्या
करने से नहीं रोका होता तो मुझसे कितना बड़ा पाप हो जाता? बुद्ध
ने युवक से कहा इस जीवन की सबसे बड़ी गलती आत्महत्या करना है ये जीवन तुमने खुद
नहीं लिया है, उसे तुम्हें दिया गया है तो तुम्हें कोई हक
नहीं कि उसे खुद से नष्ट करो कल सुबह तुम्हारे पिता यहाँ वापस आयेंगे, कल सुबह तुम उनके साथ जाकर उनके ऋण को उतारना युवक ने कहा हे महात्मा
बुद्ध मुझे मेरा सारा ज्ञान व्यर्थ ही लगता है आप सत्यता को उजागर करते हैं,
मैं आपके साथ रहकर आप से ज्ञान प्राप्त करना चाहता हूँ मुझे अपने
संग में आप शामिल कर लें बुद्ध ने कहा, कल सुबह जब तुम्हारे
पिता आएँगे तब तुम उनसे बातचीत
करना और उनसे आज्ञा लेना और तब तुम्हे लगे कि तुम्हें ज्ञान
प्राप्ति की जरूरत है तो संघ के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते हैं दोस्तों आपने
क्या सीखा? इस कहानी से कमेंट
करके जरूर बताना धन्यवाद
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