अश्लील | कामुक | विचारों को कैसे रोकें | Buddhist Story | buddha story in hindi
Buddhist Story | buddha story in hindi |
गौतम बुद्ध के समय में वैशाली राज्य में एक प्रसिद्ध गनिका रहती थी जिसका
नाम शिवानी था। वह बहुत सुंदर थी और उसे
नगरवधु घोषित किया गया था। यानी पूरे शहर की
पत्नी। शिवानी इतनी सुन्दर थी कि उसके महल के द्वार पर सदस्य
सोने के रथ खड़े रहते थे।
यहाँ तक की महान राजाओं को भी उससे मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता था। वह
केवल एक वेश्या थी लेकिन वह इतनी अमीर हो गई थी कि वह राज्य खरीद सकती थी। शिवानी का शरीर जितना सुन्दर था उससे कहीं अधिक सुंदर
उसकी आत्मा थी जो सच्चे प्यार के लिए तरसती थी क्योंकि शिवानी खुद से वेश्या नहीं बनी थी। उसे जबरदस्ती राजा
ने वैश्या बनाया था। शिवानी के वेश्या
बनने के पीछे एक कहानी है जिसे मैं किसी वीडियो में आपके साथ जरूर साझा करूँगा।
शिवानी अपने ग्राहकों को बहुत
प्यार करने का दिखावा करती थी क्योंकि उसे इसके लिए भुगतान किया जाता था, लेकिन अंदर से वह उनसे बहुत नफरत करती थी क्योंकि वह सभी उसका इस्तेमाल
एक भोग की वस्तु के रूप में करते थे। एक इंसान के रूप में उसका सम्मान नहीं करते
थे। 1 दिन शिवानी अपने महल की बालकनी में खड़ी थी। अचानक उसने अपने
महल के सामने से एक युवा बौद्ध भिक्षु को गुजरते हुए देखा जिसके पास कुछ भी नहीं
था। सिवाय एक
भिक्षा पात्र, लेकिन उसके पास जबरदस्त जागरूकता थी और लोगों को खुद की ओर आकर्षित करने
की अद्भुत शक्ति थी। जब युवा बहुत भिक्षु ने ऊपर की तरफ देखा तो शिवानी उसे देख रही थी। युवा भिक्षु ने शिवानी की ओर देखते हुए बेहद सम्मान भाव के साथ शिवानी को प्रणाम किया। शिवानी एकटक उस युवा भिक्षु को देखती रही और पहली बार शिवानी
के हृदय में प्रेम का उदय हुआ था क्योंकि
पहली बार किसी ने शिवानी को सम्मान
नजरों से देखा था। किसी ने पहली बार उसे इंसान होने का एहसास दिलाया था। शिवानी
तुरंत सीढ़ियों से नीचे उतरी और बाहर आकर
उस युवा बौद्ध भिक्षुओं के पैर छुए और कहा भंते थे, कृपया आज के दिन आप
मेरे मेहमान बने और मेरे महल में चलकर भोजन स्वीकार करे। आगे शिवानी ने कहा, कृपया मेरे निमंत्रण को ना ना कहे क्योंकि
पहली बार मैंने किसी को निमंत्रण दिया है। मुझे हजारों बार राजाओं और सम्राटो
द्वारा
आमंत्रित किया गया। लेकिन मैंने कभी किसी को आमंत्रित नहीं किया है या
मेरा पहला निमंत्रण है। युवा भिक्षु ने सम्मानपूर्वक शिवानी का निमंत्रण स्वीकार करते हुए भोजन ग्रहण किया।
भोजन देने के बाद शिवानी ने कहा, भंते आज से तीन दिनों के
बाद बारिश का मौसम शुरू होने वाला है, जो कि अगले चार महीनों तक रहेगा और मैं
आपको अपने घर में चार महीने रहने के लिए आमंत्रित करती हूँ। आने वाले चार महीनों
के लिए
या महल आपका आश्रय होगा। मैं आपको पूर्ण रूप से आश्वस्त करती हूँ कि मैं
किसी भी प्रकार से आपके ध्यान की बाधा नहीं बनूँगी बल्कि मुझसे जितना हो सकेगा
आपके ध्यान की सुविधाओं को सुगम बनाने का प्रयास करूँगी। दरअसल, बौद्ध भिक्षु साल के
आठ महीने गांव गांव घूमकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते हैं और चार महीने वहाँ एक ही
स्थान पर रहते हैं जहाँ उन्हें आश्रय मिल जाता है। युवा बौद्ध भिक्षु ने कहा माफ़ कीजियेगा
देवी लेकिन इस विषय में
मैं स्वयं निर्णय नहीं ले सकता। मैं आपके प्रस्ताव के विषय में बुद्ध से
पूछुंगा अगर वह मुझे अनुमति देंगे तो मैं आपके महल में आश्रय अवश्य ग्रहण करूँगा।
इतना कहकर वह बौद्ध भिक्षु वहाँ से चला गया। इससे पहले कि वह युवा भिक्षु बुद्ध के
पास पहुंचता और शिवानी के प्रस्ताव के
बारे में कुछ बताता, उससे पहले वहाँ पर मौजूद अन्य भिक्षु बुद्ध के पास पहुँच गए और बुद्ध से
कहा आप उस युवा भिक्षु को रोकियेगा। शिवानी ने उसे चार महीने रहने के लिए अपने घर बुलाया।
शिवानी एक वैश्या है और एक
भिक्षु एक वैश्या के घर में चार महीने रहे या सही नहीं है। इससे हमारे संग में गलत
संदेश जाएगा। बुद्ध ने कहा, कृपया आप लोग शांत हो जाए और उस भिक्षु के आने की प्रतीक्षा करें। थोड़ी
देर बाद वह युवा भिक्षु बुद्ध के पास आया, बुद्ध के पैर छुए और उन्हें पूरी कहानी
सुनाते हुए कहा, बुद्ध नगर की एक शिवानी नाम की
महिला ने मुझे बारिश के चार महीने अपने घर पर रहने के लिए आमंत्रित किया है।
मैंने उसके निमंत्रण का अभी कोई जवाब नहीं दिया। मैंने उससे कहा है कि
अगर आप मुझे उसके घर रहने की आज्ञा देंगे तभी मैं उसके घर पर रहने के लिए आऊंगा। अतः
बुद्ध आप जो कहेंगे मैं वही करूँगा। उस युवा भिक्षु ने शिवानी के विषय में बैठा शब्द का प्रयोग ना करते हुए
केवल महिला शब्द का प्रयोग किया। बुद्ध ने उस युवा भिक्षु की आँखों में देखा और
कहा तुम रह सकते हो। तभी अचानक बूढ़ा भिक्षु खड़ा हुआ और बोला कि बुद्ध या सही नहीं
है।
या युवा भिक्षु एक सच्चाई छुपा रहा है? इसका कहना है कि एक शिवानी
नाम की महिला ने अपने घर पर रहने के लिए
आमंत्रित किया है, लेकिन वह एक महिला नहीं है, वह एक वेश्या है। बुद्ध ने कहा, मैं जानता हूँ और
क्योंकि इसने वेश्या शब्द का प्रयोग नहीं किया। इसका अर्थ है इसके मन में उसके लिए
सम्मान का भाव है, इसलिए मैं इसको वहाँ रहने की अनुमति दे रहा हूँ। वहाँ मौजूद हजारों
भिक्षुओं को विश्वास नहीं हो रहा था कि बुद्ध ने एक युवा भिक्षु को
एक वेश्या घर में रहने की अनुमति दे दी है। अगले तीन दिनों के बाद वह
युवा भिक्षु शिवानी के घर रहने के लिए चला
गया। उसके जाते ही वहाँ पर उपस्थित अन्य भिक्षु उसके विषय में तरह तरह की बातें
बनाने लगे। बुद्ध ने सभी को शांत करते हुए कहा, मुझे मेरे भिक्षु पर विश्वास है। मैंने
उसकी आँखों में देखा है कि उसके भीतर तनिक भी भोग की इच्छा नहीं थी। अगर उस भिक्षु
का ध्यान गहरा है तो शिवानी के हृदय को
परिवर्तित कर देगा और अगर भिक्षु का ध्यान गहरा नहीं है तो शिवानी
कितने शारीरिक आकर्षण से भिक्षु को परिवर्तित कर देगी या एक प्रश्न है
ध्यान और शारीरिक आकर्षण के मध्य जिसका उत्तर हमें चार माह के बाद मिलेगा। बुध की बात
सुनकर वहाँ उपस्थित बिच्छुओं ने कहा कि बुद्ध उस युवा भिक्षु पर बहुत अधिक भरोसा
करके अनावश्यक जोखिम उठा रहे हैं। वह भिक्षु युवा हैं और शिवानी बहुत सुंदर है। समय प्रारंभ हुआ, वर्षा ऋतु गई, चार माह बीते और वह
युवा भिक्षु वापस आया।
उसने बुद्ध के पैर छुए और उसे युवा भिक्षु के पीछे शिवानी भी आई। उस युवा भिक्षु ने शिवानी का बोध से परिचय कराते हुए कहा बुद्ध या शिवानी हैं और या आपसे दीक्षित होना चाहती है या एक
अनोखी महिला हैं या न केवल सुंदर हैं, बल्कि उनकी आत्मा उतनी ही शुद्ध है जितनी
आप कल्पना कर सकते हैं।
शिवानी ने बुद्ध के पैर छुए और
कहा मैं पहली बार देखने भर से इस युवा भिक्षु से प्रेम करने लगी थी। इसलिए मैंने
इस युवा भिक्षु को अपने सौंदर्य से कई बार आकर्षित करने का प्रयास किया लेकिन मैं
पूर्ण रूप से असफल रही। इसके बजाय इस युवा भिक्षु ने मुझे ध्यान के प्रति जागरूक
किया और यह अहसास कराया कि वास्तविक जीवन भोग नहीं अपितु ध्यान है। इसलिए बुद्ध
में अपनी सारी संपत्ति आपके भिक्षुओं को
दान में देना चाहती हूँ और शेष जीवन ध्यान में बिताना चाहती हूँ। इसके
बाद शिवानी बुद्ध के शिष्यों में पहली
महिला हुई, जिन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई। बुद्ध ने अपने पंत के सभी शिष्यों से
कहा, यदि तुम वेश्याओं की
संगति से डरते हो तो उस डर का उस वेश्या से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि वह डर तुम्हारे
बेशुध मन की उपज है क्योंकि तुमने अपनी कामुकता को दबा दिया है और कामुक ऊर्जा को
दबाया नहीं जा सकता। इसे केवल रूपांतरित
किया जा सकता है।
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