नवरात्रि में ये 2 सब्जी भूलकर भी मत बनाना व्रत टूट जाता है माता रानी क्रोधित हो जाती हैं लगता है पाप
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उनसे
जुड़े पालनों का नियम करना अति आवश्यक माना जाता है। क्योंकि जो मन के मुताबिक किया
जाए वो संघर्ष नहीं कहलाता, कहा जाता है कि मनोकामना को पूर्ण करने के लिए
थोड़ा सा संघर्ष यानी की तपस्या तो करनी ही पड़ती है। इसीलिए ऐसी मान्यता है कि व्रत
को पूर्ण विधि विधान से किया जाना चाहिए। तब आपको व्रत का पूर्ण लाभ फल मिलता है।
आपकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसीलिए हर शस्त्र यही कहता है कि सच्चे दिल
से अगर आपके मन में ईश्वर के प्रति श्रद्धा हो तो?
बिना
पूजा पाठ के ही सारा फल मिल जाता है और अगर मन में ईश्वर के प्रति शंका हो तो उस
मनुष्य को कई जन्मों तक सुख नहीं मिलता। भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं
कहा था जो मनुष्य सच्चे हृदय से इश्वर को पुकारता है तो उसका नाता उस शक्ति से जुड़
जाता है जिसे आपने सच्चे हृदय से पुकारा था। इसीलिए भगवान भी कहते हैं कि सच्चे
हृदय से ही ईश्वर को पुकारें तो वो आपकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
कई लोग
ऐसे हैं जो भगवान के सामने घंटों पूजा पाठ करते हैं तथा रोते हैं फिर भी भगवान
उनकी कभी नहीं सुनता। दरअसल जब आप सच्चे मन से ईश्वर को पुकार ते ही नहीं है तो
भला वो आपकी पुकार कैसे सुनेंगे। दोस्तों ये तो थी वो बातें जो भक्त और भगवान के
बीच की है। अब हम जानते हैं नवरात्रों के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए और क्या नहीं
पीना चाहिए और कौन सा फल खाने से व्रत संपूर्ण और सफल हो जाता है?
दोस्तों
हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें और इस बेल आइकन को दबाना ना भूलें। तो आइये
शुरू करते हैं दोस्तों नवरात्रि के दिन सेफ जरूर खाना चाहिए शास्त्रों में बताया
जाता है कि भगवान के भोग में सेब आदि जरूर अर्पित किया जाता है। अगर आप का व्रत
हैं तो आपको सेब जरूर खाना चाहिए। केला, पपीता, तरबूज और मीठे
अंगूर जरूर खाना चाहिए। इन फलों से व्रतधारी को शक्ति मिलती है और व्रत संपूर्ण हो
जाता है।
शास्त्रों
में बताया जाता है कि नवरात्रों के दिनों में सीताफल जरूर खाना चाहिए। सीता फल खाने
से 10 ऐसी बीमारियां हैं जो खत्म हो
जाती है। माना जाता है कि नवरात्रों के दिनों में सीताफल का घर में प्रवेश होना
बड़ा ही शुभ माना गया है। सीताफल खाने से नवरात्रि का व्रत सफल हो जाता है क्योंकि
इसमें माता सीता का आशीर्वाद मिला हुआ होता है। नवरात्रि के दौरान इसे जो भी खाता
है उसे दुखों का सामना नहीं करना पड़ता। सीताफल
आपको
जरूर खाना चाहिए। दोस्तों नवरात्रों में व्रत धारी को डब्बाबंद लस्सी डिब्बाबंद
जूस नहीं पीना चाहिए। उसमें कई केमिकल मिले होते हैं जिसके कारण आपका व्रत टूट
सकता है। जब भी आप फलों का जूस पिएं तो याद रखें उसमें नमक न डालें नहीं तो ब्रत टूट जाएगा। साथ ही साथ जूस में बर्फ़ भी नहीं डालना चाहिए। फलों का सादा जूस
पीने से ब्रज सफल होता है। दोस्तों नवरात्रि के दौरान सिंघाड़े का आटा या कुट्टू का
आटा खाने से पहले
ये देख
लें कि आटा पुराना नहीं होना चाहिए क्योंकि पुराने आटे में कीड़े वगैरह पड़ जाती है
जिसके कारण आपका व्रत टूट सकता है क्योंकि ये छोटे छोटे कीड़े हमें दिखाई नहीं देते
और आपके मुँह तक पहुँच जाते हैं। ऐसा आटा खाना मतलब कीड़े मकोड़ों का मांस खाने के
बराबर माना गया है। दोस्तों नवरात्रि के दौरान आप शाम के समय खाने में दही ले सकते
हैं, आलू वगैरह खा सकते हैं,
साबूदाने की टिकिया बनाकर खा सकते हैं, साबूदाने
के और आलू के पापड़ भी
खा
सकते हैं। कई सब्जियां तो ऐसी हैं जो नवरात्रि के दौरान भोजन में शामिल कर सकते
हैं। इससे आपको एनर्जी मिलेगी और भारत सफल हो जाएगा। नवरात्रि के दौरान आप दूध पी
सकते हैं, जो आपको ताकत देगा, चाय वगैरह भी पी सकते हैं, लेकिन याद रहे उसमें नमक
ना डाले। एक बात का ध्यान रहे व्रत धारी को पेटभर खाना यानी गले तक भोजन नहीं करना
चाहिए। नहीं तो व्रत रखने का कोई भी फायदा नहीं होगा। थोड़ा थोड़ा खा सकते हैं
दोस्तों नवरात्रि के 9 दिन
आदि
शक्ति माँ दुर्गा को समर्पित होते हैं। नवरात्रि के 9 दिन माता रानी के नौ अलग अलग
स्वरूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी को अलग अलग
स्वरूप के हिसाब से अलग अलग पुष्प, अलग अलग भोग अर्पित किए
जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ ऐसी वस्तु है जिन्हें नवरात्रि के दौरान
भूलकर भी माता रानी को अर्पित नहीं करना चाहिए? अगर इन
वस्तुओं को आप गलती से भी माता रानी को अर्पित कर देते हैं तो आपको व्रत और पूजन
का पूर्ण लाभ
नहीं
होगा। इसीलिए माता रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए आपको ये जानना अतिआवश्यक है
कि वो कौन सी ऐसी वस्तु है जो माता रानी के पूजन में भूलकर भी इस्तेमाल नहीं करना
चाहिए। तो आइये माँ का जयकारा लगाते हुए विडिओ को शुरू करते हैं। दोस्तों नंबर एक नवरात्रि के दौरान शादीशुदा महिलाओं को सफेद
कपड़े पहनकर पूजा पाठ नहीं करना चाहिए साथ ही साथ काले कपड़े भी नहीं पहनना चाहिए।
इससे पूजा, व्रत
आदि खंडित हो जाती है।
माता
की चौकी जब आप लगाये तो उसके नीचे कागज नहीं लगाना चाहिए। माता की चौकी हमेशा लाल
कपड़ा बिछाकर ही बनाना चाहिए। हमेशा याद रहे नवरात्रों के इन नौ दिनों तक व्रत धारी
को अपना आसन माँ की चौकी के आगे ही लगाना चाहिए और वहीं पर आपको सोना चाहिए। मंदिर
को नवरात्रों के दौरान अकेला नहीं छोड़ा जाता। बहुत ही अशुभ माना जाता है। इससे
दुर्गा माता नाराज हो जाती है और हमेशा के लिए चली जाती है।
दोस्तों
नंबर दो नारियल हिंदू
धर्म में नारियल को समृद्धि,
धन, श्रद्धा और सम्मान का सूचक माना जाता है।
नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। नारियल को सुख समृद्धि में वृद्धि करने वाला
माना जाता है। नारियल का हर मांगलिक कार्य में विशेष महत्त्व होता है। जैसे कि आप
सभी जानते हैं कि माता रानी के कई मंदिरों में नारियल से बलि भी दी जाती है और
माता रानी के पूजन में नारियल का इस्तेमाल हम सभी करते हैं। खासकर कलश की स्थापना
नारियल रखकर ही की जाती है।
माता
रानी के पूजन में हम नारियल इस्तेमाल करते समय कुछ गलतियाँ कर बैठती है। दोस्तों
नारियल कई प्रकार के होते हैं एक हरा, दूसरा सूखा
जिसके
अंदर पानी होता है, जिंस नारियल के अंदर पानी होता है। माता रानी के पूजन में सदैव पानी बाला
और जटा वाला नारियल ही इस्तेमाल करें। नारियल का पूर्ण होना चाहिए। नारियल चटका
हुआ या टूटा हुआ नहीं होना चाहिए क्योंकि साबुत नारियल ही पूर्ण और पवित्रता का
प्रतीक होता है। साबुत नारियल ही सुख समृद्धि का प्रतीक होता है। साबुत नारियल को
ही श्रीफल यानी की माँ लक्ष्मी का फल कहा जाता है।
नवरात्रि
में माता रानी के कलश की स्थापना करते समय जटा वाला यानी पानी वाला नारियल ही कलश
पर स्थापित करना चाहिए। साथ ही ये ध्यान रखना चाहिए कि नारियल को सदैव कलश के ऊपर
लेटाकर रखना चाहिए। घटस्थापना करते समय कभी भी नारियल को खड़ा करके नहीं रखा जाता।
नारियल को सदैव लेटाकर कलश के ऊपर रखा जाता है। साथ ही नारियल को स्थापित करने से
पहले आप नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर उस पर
और फिर
लाल चुनरी उड़ाकर आप नारियल को कलश के ऊपर स्थापित करें। शास्त्रों के अनुसार कलश
के ऊपर जब सही तरीके से नारियल रखा जाता है और सही प्रकार का नारियल रखा जाता है
तभी ही और पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होता है। ये भी ध्यान रहे कि महिलाएं माता
रानी को नारियल अर्पित तो कर सकती है लेकिन कभी भी माता रानी के सामने नारियल को
भूलकर भी ना तोड़ें क्योंकि नारियल बीज रूप होता है और इस त्रिया बीज रूप से ही
शिशु को जन्म देती है।
इसीलिए
कभी भी महिलाओं को नारियल नहीं तोड़ना चाहिए। दोस्तों नंबर तीन लॉन्ग, लॉन्ग हम सभी माता रानी के पूजन में इस्तेमाल
करते हैं, लेकिन लॉन्ग का इस्तेमाल करते
समय एक बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि माता रानी को सदैव
फूल वाली लौंग ही अर्पित करना चाहिए। जिंस लॉन्ग के ऊपर फूल नहीं होता या फिर जीस,
लॉन्ग के पीछे लकड़ी की डंडी नहीं होती। उसको आप माता रानी के पूजन
में भूलकर भी इस्तेमाल ना करे।
फूल
वाले लोगों को ही पूर्ण माना जाता है और माता रानी के पूजन में कोई भी अपूर्ण
वस्तु, कोई भी खराब वस्तु या टूटे हुए
अक्षत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसीलिए सदैव माता रानी के पूजन में फूल वाली लौंग
का ही इस्तेमाल करें। दोस्तों नंबर चार तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं करने चाहिए।
माँ दुर्गा के पूजन में तुलसी पत्र का इस्तेमाल करना वर्जित माना जाता है। तुलसी
पत्र के अलावा आमला भी माता रानी को अर्पित नहीं करना चाहिए और दुर्बा भी।
माता
रानी को अर्पित नहीं करना चाहिए। दुर्बा भगवान श्री गणेश को अतिप्रिय है। नवरात्रि
में आप भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित कर सकते हैं। भगवान विष्णु जी को तुलसी के
पत्ते अवश्य अर्पित कर सकते हैं लेकिन माता रानी को भूलकर भी तुलसी के पत्ते या
दूर्वा अर्पित ना करें। माता रानी को सफेद फूल भी अर्पित ना करें। माता रानी को
सदैव लाल रंग के फूल अर्पित करने चाहिए। लाल रंग के फूल माता रानी को अतिप्रिय है।
खासकर
माता को गुड़हल और कमल के फूल अतिप्रिय है। शास्त्रों में बताया जाता है कि घर में
माता रानी की दो या तीन मूर्तियां या फोटो नहीं होने चाहिए। इस बात का भी आप विशेष
ध्यान रखें कि माता रानी के पूजन में कोई भी खंडित चीज़ इस्तेमाल ना करे। खंडित
ची़ज जैसे की चटका हुआ या टूटा हुआ दीपक या फिर चटका हुआ कोई बर्तन? साथ ही ये भी ध्यान रहे कि लोहे के और
प्लास्टिक के बर्तन आप माता रानी के पूजन में इस्तेमाल ना करे।
क्योंकि
प्लास्टिक के चाइनीज बर्तन हड्डियों के पाउडर से मिलकर बनते हैं। ऐसा ना करें ऐसे
बर्तनों को माता रानी के पूजन से सदैव दूर रखें। माता रानी को जो पुष्प अर्पित कर रहे
है उन्हें सूंघे नहीं। सूंघे हुए फूल या
गिरे हुए फूल या फिर मुर्झाये हुए फूल माता को अर्पित ना करे। दोस्तों कमेंट बॉक्स
में लिखें जय माता दी जानकारी पसंद आये तो एक लाइक तो बनता है।
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