इन पांच स्थितियों में हमेशा चुप रहें|The Power Of Silence| buddist story in hindi

 

   Buddist Story in hindi

एक बार की बात है। एक गुरु शिष्य ज्यादा बोलने की आदत से परेशान था। वह जब भी किसी से मिलता तो मिलने के बाद अपने मित्रों के सामने उस इंसान के बारे में अपने विचार देना शुरू कर देता। उससे कोई पूछे या ना पूछे वो अपने आसपास की लगभग हर चीज़ के बारे में अपनी राय बता देता। आश्रम में रहने वाली लगभग हर छात्र और शिक्षक के बारे में उसकी अपनी सकारात्मक या नकारात्मक राय थी, जिसे वह बिना सोचे समझे लोगों के सामने रख देता। जब भी आश्रम में रहने वाला कोई दूसरा छात्र

अपनी कोई समस्या लेकर उसके पास आता तो वह उसकी पूरी बात सुने बिना ही उसे सलाह देना शुरू कर देता हूँ। वह अक्सर अपने मित्रों से कहता रहता कि तुम्हें यह काम ऐसे करना चाहिए था। वो काम ऐसे करना चाहिए था। उसे अपनी आसपास की चीजों के बारे में जो भी आधा अधूरा ज्ञान था, मित्रों के बीच गपशप के समय वह बोल बोलकर अपने उस ज्ञान का दिखावा करता, उसकी इन हरकतों की वजह से आश्रम का कोई भी छात्र या शिक्षक उसे गंभीरता से नहीं लेता था। अक्सर उसके साथ पढ़ने वाले छात्र उससे दूर रहने की कोशिश करते,   क्योंकि वह हर बात पे

उन्हें सलाह देने लग जाता था। कोई भी उसे अपना मित्र नहीं बनाना चाहता था। सब उससे दूर रहना ही पसंद करते थे और अक्सर आश्रम में रहने वाले दूसरे छात्र उसके पीठ पीछे उसकी इन आदतों की वजह से उसका मजाक बनाती है। उस लड़के को भी पता था कि उसकी ज्यादा बोलने की आदत की वजह से कोई भी उसे पसंद नहीं करता। वो भी अपनी इस आदत को बदलना चाहता था। लेकिन वो चाहकर भी हर बात पर अपनी राय देने की आदत को छोड़ नहीं पा रहा था। 1 दिन वो अपने गुरु के पास गया और अपनी सारी समस्या गुरु को बताइ। गुरु ने कहा

बेटा ज्यादा वही इंसान बोलता है जिसे लगता है कि वो सब कुछ जानता है। ऐसा इंसान जो ये मानता है कि वो बहुत थोड़ा ही जानता है और अभी ऐसा बहुत कुछ है जो उसे सीखना है वो कभी भी जरूरत से ज्यादा नहीं बोलता और ना ही बिना मांगे किसी को राय देता। इसलिए पहले खुद के अंदर से ये अभिमान हटाओ की तुम्हें सब कुछ पता है जिसने गुरु के सामने अपना सिर झुका दिया। गुरु ने कहा बेटे मैं 1 दिन में तुम्हारी ज्यादा बोलने की आदत को खत्म तो नहीं कर सकता। यह आदत

मैं खुद ही अपने अंदर धीरे धीरे कम करनी होगी, लेकिन मैं तुम्हें यह जरूर बता सकता हूँ कि किन मौकों पर तुम्हें शांत रहना चाहिए ताकि तुम खुद को दुखी होने और किसी बड़ी मुसीबत में पड़ने से बचा सकूँ। शिष्य ने गुरु की बातों से सहमति दिखाते हुए अपना सिर हमें हिला दिया। गुरु ने कहा, बेटे, इन पांच मौकों पर हर इंसान को अपना मुँह बंद रखना चाहिए। पहला जब तुम्हें लगे कि कोई तुम्हारी भावनाओं को तुम्हारे शब्दों से नहीं समझ सकता, उस समय तुम्हें चुप रहना चाहिए। अक्सर हम लोगों को अपने दुख

अपनी परेशानियां बताना शुरू कर देते हैं, जबकि हमारे आसपास रहने वाले ज्यादातर लोगों को इससे कोई मतलब नहीं है कि हमारे जीवन में क्या गुजर रहा है। हर इंसान को केवल खुद से मतलब होता है। वो केवल खुद के बारे में बात करना चाहता है। वो केवल खुद की तारीफ सुनना चाहता है। उन्हें हमारे जीवन की परेशानियों से कोई मतलब नहीं और ना ही वो सुनना चाहते। हो सकता है कि एक या दो बार वो तुम्हारी दुख भरी कहानी सुन भी ले लेकिन उसके बाद वो तुमसे दूर भागना शुरू कर देंगे क्योंकि कोई भी किसी दुखी और असहाय इंसान के साथ रहना

पसंद नहीं करता। इसलिए कभी भी अपने कुछ करीबी मित्रों और परिवार वालों को छोड़कर किसी ऐसे इंसान को अपनी परेशानी ना बताये जो तुम्हारी बातों को समझने के बजाय उनका मजाक बनाए। दूसरा जब तुम्हें ये ना पता हो कि किसी विशेष मौके पर क्या बोलना है या फिर तुम्हें किसी विशेष घटना के बारे में आधा अधूरा ही ज्ञान हो तो ऐसे मौके पर भी तुम्हें चुप ही रहना चाहिए। ऐसा इंसान जो आधा अधूरा ज्ञान होने के बाद भी उस विषय में बात करता है वो अक्सर ही मजाक का पात्र बनता है और कोई भी

ऐसे इंसान को कभी गंभीरता से नहीं लेता। अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से वही इंसान रख सकता है जिसे उस घटना या विषय के बारे में गहराई से जानकारी है। इसलिए कभी भी आधी  अधूरी और इधर उधर से मिलने वाली जानकारी के आधार पर लोगों से अपनी बात मनवाने की कोशिश ना करें।

तीसरा गुरु ने कहा, जब कोई इंसान तुम्हारे सामने किसी तीसरे इंसान की बुराइ कर रहा हो तब ऐसी परिस्थिति में भी तुम्हें चुप रहना चाहिए। तुम्हें कभी भी ऐसी नकारात्मक बातचीत का हिस्सा नहीं बनना चाहिए क्योंकि आज जो इंसान तुम्हारे सामने किसी तीसरे इंसान की बुराइ कर रहा है, वहीं कल किसी और के सामने तुम्हारी बुराइ करेगा और इस बात की ज्यादा संभावना है कि आज तुमने उसकी हाँ में हाँ मिलाने के लिए, तीसरे इंसान की जो बुराइ की है। कल रिश्ते ठीक होने पर वो उस तीसरे इंसान से भी कहे कि तुमने उस के बारे में

क्या क्या कहा था। इसलिए जब भी कभी कोई किसी तीसरे इंसान की बुवाई करें या उसकी गलत समय का मजाक उड़ाए तो तुम्हें बस उसकी बातें सुन लेनी है। अपनी कोई भी राय वह नहीं रखनी। अगर तुम ऐसा करते हो तो भविष्य में तुम्हारे लिए समस्या खड़ी हो सकती है।

गुरु ने कहा, चौथा जब कोई तुम्हारे ऊपर गुस्से और घृणा से चिल्लाए, तुम्हारा अपमान करने की कोशिश करें, तब ऐसी परिस्थिति में तुम चुप रह कर, सामने वाले के गुस्से और घृणा को कम कर सकते हो। साथ ही तुम इस स्थिति को खराब होने से बचा भी सकते हो। जब तुम सामने वाले के क्रोध का जवाब क्रोध से ना देखकर उस समय चुप रह जाते हो तब यह बात उस क्रोध करने वाले इंसान के दिल में लगती है। गुस्सा कम होने पर उसे अपनी गलती पर पछतावा होता है और ज्यादा संभावना है कि वो अपनी गलती के लिए तुम से क्षमा मांगे।

और क्षमा नहीं भी मांगता तो वह अंदर ही अंदर खुद को दोषी समझने लगता है और फिर वह अगली बार तुम पे गुस्सा करनी वो घृणा करने से पहले कई बार सोचेगा। लेकिन तुम्हें हर परिस्थिति में चुप ही  नहीं रहना, अगर कोई गलत कर रहा हो तो तुम्हे उसका जवाब भी देना है, क्योंकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें हमारा चुप रहना हमारी कमजोरी प्रतीत होता है। गुस्से के दौरान चुप रहने का यह तरीका केवल परिवार, सगे संबंधियों और कुछ निकटतम मित्रों के लिए ही सही है ना कि हर इंसान के लिए। अगर तुम हर जगह चुप रहने लग गए तो इसका गलत फायदा भी उठाया जा सकता है।

गुरु ने आगे कहा, पांचवा, जब कोई इंसान तुमसे उसके जीवन की कोई दुख भरी घटना या अपने जीवन की परेशानी साझा कर रहा हो, ऐसी परिस्थिति में तुम्हें चुप रहकर सिर्फ उसकी बातों को सुनना है। ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं कि किसी ने उनके सामने अपनी समस्या सुनाई नहीं की। उन्होंने समाधान देना शुरू कर दिया। जबकि जब कोई इंसान हमसे अपनी परेशानी साझा कर रहा होता है तो वो हमसे किसी सुझाव की उम्मीद नहीं करता। वो बस ये चाहता है कि हम उसकी पूरी बात ध्यान से सुन लें, क्योंकि जब हम किसी की परेशानी को

ध्यान से पूरा सुन लेते है तो उस इंसान को एक आत्मिक शांति मिलती है। उसे ऐसा लगता है कि चलो किसी ने तो मेरी बात को समझा। अधिकतर मौकों पर जब लोग हमसे अपनी परेशानी साझा करते हैं तो वो बस हमें अपनी बात बताना चाहते है। वो ये नहीं चाहते कि हम उन्हें सलाह देना शुरू कर दे  क्योंकि जो सलाह हम उन्हें देने वाले है वो सब उन्हें पहले से ही पता है। परेशानी के समय में किसी इंसान को सांत्वना देने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम बस उस इंसान की पूरी बात को ध्यान से सुन लें। जब हम लोगों की बातों को

बिना उन्हें बीच में रोके और बिना किसी सलाह दिए पूरे ध्यान से सुनते हैं तो उनकी नजरों में हमारे लिए सम्मान और स्नेह का भाव पैदा हो जाता है। हम ज्यादा गंभीर, समझदार और सात दिमाग वाले इंसान प्रतीत होते हैं। इसलिए अब जब भी अगली बार तुम्हें कोई अपनी परेशानी बताएं तो बस उनकी बातों को ध्यान से सुन लेना और जब तक वो तुमसे ना मांगे तो उन्हें किसी भी प्रकार की सलाह मत देना। गुरु ने कहा, मेरी एक बात हमेशा याद रखना, जब तुम कम बोलते हो तो लोग तुम्हारी तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं कि तुम क्या हो?

और तुम क्या सोचते हो? शिष्य ने  हाँ में सिर हिलाया शिष्य  अब गुरु की बातों को समझ चुका था कि उसे किन किन परिस्थितियों में शांत रहना है। उसने यह भी जान लिया था कि कम बोलकर को आश्रम में अपनी प्रतिष्ठा वापस पा सकता है। उसने गुरु को धन्यवाद किया और वहाँ से चला गया।

Related Posts

Subscribe Our Newsletter

0 Comments to "इन पांच स्थितियों में हमेशा चुप रहें|The Power Of Silence| buddist story in hindi"

Post a Comment