अगर व्यक्ति को मिले ये 6 संकेत तो हनुमान जी उसके पास है | Hanuman Ji ke sanket

 

नमस्कार आपका स्वागत है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित प्रसंग के अनुसार एक बार नारदमुनि भगवान श्रीकृष्ण के पास आते हैं और उन्हें कहते हैं हे प्रभु तुलसी भगवान नारायण की प्रिय है इसलिए परम पवित्र है। अदर वे संपूर्ण जगत के लिए पूजनीय हैं परंतु इनकी पूजा का क्या विधान है और इनकी स्तुति के लिए कौन सा स्तोत्र है ये मैंने अभी तक नहीं सुना हैं। हे प्रभु किस मंत्र से तुलसी की पूजा होनी चाहिए? सर्वप्रथम किसने तुलसी की पूजा की? इस प्रकार से नारदजी द्वारा पूछे जाने पर

भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें तुलसी के पूजन का महत्त्व एवं नित्य तुलसी के सामने बोले जाने वाले हैं महामंत्र के बारे में बताया है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो भी स्त्री नित्य तुलसी के समक्ष इस मंत्र का उच्चारण करेगी वो सौभाग्यशाली बनेगी। जो भी पुरुष तुलसी के सामने इस मंत्र का उच्चारण करेगा उसे अक्षय धन की प्राप्ति होगी। जिस घर के सामने नित्य तुलसी की पूजा की जाएगी उस घर में साक्षात् लक्ष्मी का वास होगा। तुलसी का यह मंत्र मंत्रराज कल्पतरु है। यह समस्त फलों को प्रदान करने वाला है।

हाँ तो जो भी तुलसी के सामने ही इस मंत्र का उच्चारण करेगा उसे संपूर्ण सिद्धियां प्राप्त होगी। सर्वप्रथम तुलसी की पूजा भगवान श्री हरि विष्णु द्वारा की गई थी। घी के दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नए वैद्य एवं पुष्प आदि से भगवान श्री हरि ने तुलसी की पूजा की थी। श्रीकृष्ण कहते हैं इस प्रकार से जो भी मनुष्य तुलसी का पूजन करेगा उसके सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाएंगे और वो व्यक्ति सुख समृद्धि को प्राप्त करेगा। तुलसी के नित्य पूजन से

एवं मंत्र जाप से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त होकर गोलोक में जाता है। जो कार्तिक महीने में श्री हरि विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करता है वो 10,000 गौ के दान का पुण्य प्राप्त करता है। तुलसी के पूजन से जिसे पत्नी ना हो उसे पत्नी मिल जाती है। जिसे संतान न हो, वह पुरुष पुत्रवान बन जाता है, रोगी रोगों से मुक्त हो जाता है और भयभीत मनुष्य निर्भय हो जाता है एवं पापी भी सभी पापों से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण ने

तुलसी का महत्त्व नारदमुनि को सुनाया था। आइये जान लेते हैं तुलसी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और भगवान श्रीकृष्ण ने बताए हुए उस महामंत्र के बारे में शास्त्रों के अनुसार तुलसी को जन्म से मृत्यु तक काम आने वाला पौधा माना गया है। घर में तुलसी का पौधा होने से ही चार ओवर का वातावरण शुद्ध हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। तुलसी के पौधे न केवल घर की हवा को शुद्ध बनाते हैं बल्कि कई प्रकार के वास्तुदोष भी नष्ट करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार

तुलसी का पौधा सही दिशा में होना अत्यंत आवश्यक है। यदि तुलसी के पौधे को सही दिशा में न लगाया जाए। यदि ये पौधा गलत दिशा में उपस्थित हो तो कई प्रकार के दोष निर्माण होते हैं और तुलसी का पौधा धीरे धीरे सूखने भी लगता है, जिससे घर पर कई प्रकार के संकट खड़े हो जाते हैं। क्योंकि गलत दिशा में तुलसी का पौधा घर में नकारात्मकता फैलता है, जिसके कारण आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है। तुलसी का पौधा सदैव ही पूर्व अथवा उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। तुलसी के पौधे को

घर की दक्षिण दिशा में ना रखें नहीं तो ये पौधा दक्षिण दिशा से आने वाली नकारात्मक उर्जा के कारण जल्दी सूख जाता है और घर परिवार में दुख का वातावरण बना रहता है। महिलाओं को ऐसी अवस्था में तुलसी को जल नहीं देना चाहिए। अक्सर महिलाएं स्नान करने के पश्चात अपने बालों को खुले रखकर ही तुलसी को जल देती है, लेकिन शास्त्रों में इसे सर्वथा अनुचित माना गया है। तुलसी को भगवान से सदा सुहागिन रहने का वरदान मिला है। ऐसे में सौभाग्य में वृद्धि के लिए महिलाओं को अपने केस बांधकर

मांग में सिंदूर भरकर ही तुलसी को जल अर्पण करना चाहिए। तुलसी को जल अर्पण करते समय इन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में अवश्य रखें। पहली बात,    तुलसी के आसपास,   जूठन,   जूते,   चप्पल,   झाड़ू या कचरा भूल से भी ना रखें,  इससे तुलसी का अपमान होता है। दूसरी बात,     जिंस गमले में तुलसी का पौधा लगा हो उसमें अन्य पौधे न लगाएं। तुलसी के पौधे को हो दूध मिला हुआ जल चढ़ाने से ही तुलसी सदा हरी भरी रहती है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। कई बार लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाते वक्त

जल  भी चढ़ाते हैं, लेकिन ऐसा करना अशुभ माना गया है। शाम के समय तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए और इसे स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। तुलसी के पास दीपक लगाते समय दीपक के नीचे है। थोड़े से चावल के दाने अवश्य रखें। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहेंगी। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पास जल से भरा हुआ पात्र भी कभी रखना नहीं चाहिए। तुलसी के पौधे को ऐसी जगह पर भूल से भी ना लगाएँ जहाँ पर गंदगी हो। कई लोग जाने अनजाने में तुलसी के पौधे को नाले के पास अथवा जीस स्थान पर

कपड़े या बर्तन धोए जाते है। ऐसे स्थानों पर रख देते हैं जिसके कारण गंदा पानी तुलसी के पौधे पर गिरता रहता है, जिससे तुलसी का पौधा सूख जाता है और इसे माँ तुलसी का अपमान होता है। तुलसी के पौधे को गंदगी से हमेशा दूर रखें, जहाँ पर हमेशा पवित्र वातावरण बना रहे हैं जहाँ पर स्वच्छता रहे। ऐसे ही स्थान पर तुलसी का पौधा होना चाहिए। आइये आप जानते हैं उस महामंत्र के बारे में जो हमें तुलसी के पौधे के सामने बोलना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार तुलसी का मंत्र इस प्रकार से बनता है

लक्ष्मी बीज से सरिम माया बीच से हिंम  काम बीच से क्लीन और वाणी बीच से है। इन बीजों को पूर्व में उच्चारण करके इस महामंत्र का जाप नित्य तुलसी के सामने करना चाहिए। श्री ह्रीं  क्लीं ऐ  वृंदावन्ये स्वाहा इस दशाक्षर मंत्र का जाप नित्य तुलसी के सामने करने से ही हर प्रकार के कार्य में सफलता मिलती है। स्त्रियों को नित्य तुलसी को जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसका जाप करने मात्र से उनके घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

घर में सुख समृद्धि बनी रहती है,     तो दोस्तों  इस प्रकार से तुलसी मैया की पूजा करने से हमें माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो वीडियो को लाइक जरूर करें। कमेंट में जय महालक्ष्मी, जय माँ तुलसी जय श्री कृष्ण अवश्य लिखें। साथ ही चैनल को सब्सक्राइब करे ताकि आपको ऐसी ही शास्त्रोक्त आध्यात्मिक जानकारी वाले वीडियो देखने को मिल सके। धन्यवाद।

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