मन से गंदे विचार हटाने का आसान तरीका - गौतम बुद्ध | Gautam Buddh motivational video | Buddhist

नमस्कार आपका स्वागत है।  जीत इंस्पायर्ड पर, दोस्तों, हमारा मन इस दुनिया का सबसे पावरफुल हथियार है। लेकिन हम इसे ठीक तरीके से इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं। साधारण सी बात है, हम अपने मन में जिसतरह के बीज बोएंगे, हमें आउटपुट भी ठीक उसके अनुरूप ही मिलेगा।  लेकिन हम उस मन में ठीक तरह से बीज बो ही नहीं पाते। अगर आपके मन में भी हमेशा नकारात्मक, बुरे और अश्लील विचार आते रहते हैं। और आप इस तरह सोचते रहते हैं जिससे आपको नहीं सोचना चाहिए। तो भगवान बुद्ध से समझिए। की कैसे आप इसे बिल्कुल समाप्त कर सकते हैं? एक बार भगवान बुद्ध एक प्रवचन सभा में प्रवचन दे रहे थे। उनके समक्ष बहुत से उसके शिष्य भी बैठे थे।

इस बीच कुछ नए शिष्य भी थे। जो किसी लोभ लालच में आकर बिच्छू बने। लेकिन वे शिष्य शारीरिक रूप से सभा में बैठे तो थे। लेकिन उसका मन उस सभा में नहीं था। उनका मन बहुत ज्यादा दूसरे स्थितियों में रस ले रहा था। उनका मन अभी भी बहुत ज्यादा शक्तिशाली था। और ये कोई नई बात नहीं है। मनुष्य का मन अक्सर ऐसी गलतियाँ करता रहता है। मानुष चीज़ में हमेशा आनंद देखता है। तलाश करता है।

और इस तरह वो बौद्ध  बिच्छू बुद्ध के समझ बैठे भी थे और नहीं भी। यहाँ एक समझने वाली बात ये है की मन इतना भी शक्तिशाली हो सकता है जो बुद्ध जैसे महान शख्स के बैठने के बावजूद भी। उसे अनदेखा कर दे। लेकिन भगवान बुद्ध की उपस्थिति भी इतनी कमजोर नहीं है कि बुद्ध के समीप बैठे लोगों के मन को चोट न पहुंचा सके। बुद्ध  की बातों में इतनी जादू थी। की बुरे से बुरे लोग भी चाहे कितना भी भटका हुआ मन क्यों ना हो, सभी शांत हो जाते थे। भगवान बुद्ध के शब्द एक बार किसी के कान में चल जाता। तो उसका रूपांतरण निश्चित है।

सभा में बैठे उन नए नए बच्चों का मन प्रयास तो करता कि उन्हें बुद्ध की उपस्थिति से वंचित रखा जा सके। परन्तु बुद्ध की उपस्थिति ऐसा होने नहीं देती। गौतम बुद्ध बोलते बोलते अचानक चुप हो जाते। और ये सब के मन को स्ट्राइक करती है। कि बुद्ध बोलते बोलते अचानक क्यों चुप हो गए? सभी लोगों का मन दूसरे जगह से हटकर बुद्ध के मौन होने में केंद्रित हो जाता है। फिर बुद्ध मुस्कुराते हैं और बोलते हैं मेरे प्रिय बिछुयो  ये हमारा जीवन बहुत कीमती है।

इसकी कीमत हमें तभी समझ में आती है। जब यह हमारे पास कम समय के लिए बचता है। इसीलिए तुम्हारे मन में जो भी प्रश्न हैं। चाहे जैसे भी प्रश्न हो, अभी पूछ लो। क्या पता कल ये पूछने का मौका न मिले। उसी वक्त एक नए, बहुत। खड़ा होकर उनसे पूछते हैं। की है। तथागत मेरे मन में एक प्रश्न है। लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं आपसे कैसे पूछूं? भगवान बुद्ध बोले। तुम्हारे मन में जो भी प्रश्न है, चाहे जैसा भी प्रश्न हैं। निश्चित ही पूछो।

बिच्छू कहते हैं, हे  बुद्ध मैं सोचता था। की बिच्छू बनने के बाद मेरे मन में सभी बुरे और अश्लील विचार खत्म हो जाएंगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ। मेरे मन में अभी भी बुरे विचार आते हैं। जितनी भी अश्लील विचार है। जितनी भी काम मुँह है। उस में अभी भी मेरा मन उलझा हुआ है। मेरा मन बार बार अश्लील की तरह जाता है। फिर भगवान बुद्ध बोले यदि तुम्हारा मन अभी भी अश्लीलता वो में भटक रहा है। और तुम्हें ये लगता है। कि ये  सब कुछ सही है तो मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा। क्योंकि मेरा उद्देश्य।

तुम्हें बांधना नहीं। मुक्त करना है। कोई व्यक्ति या मनुष्य बिच्छू  तभी बनता है। जब वो हर चीज़ की निरर्थकता को देख लेता है। वो देख लेता है की कामवासना, लालच, अहंकार ये ऐसी प्यासी कुआं है जो कभी भी नहीं भरता। वो ये भी जान लेता है कि सभी लोग इन कुओं को भरने में लगा हुआ है। परन्तु आज तक इन कुओं को कोई भी नहीं भर पाया। जब किसी व्यक्ति को यह लगता है। की कोई भी चीज़ इस जीवन को पूरा नहीं कर सकती तब वह सब कुछ त्याग नहीं लगता है। और वह बिच्छू बनने का रास्ता भी चुन लेता है। फिर बिच्छू दोबारा बुद्ध से पूछते हैं परंतु है बुद्ध ये अश्लील विचार हमारे मन में आते क्यों है?

तब बुद्ध बोले की बुरे विचार उन सभी बीजों का फल है जिन्हें हम जाने अनजाने में बो रहे हैं। गौतम बुद्ध के द्वारा बताए गए इन बातों को इस तरह समझिए। हमारे मन में बुरे विचार पैदा होने के लिए। सबसे पहले जानकारी आती है। उससे विश्वास बनता है फिर विश्वास से हमारे विचार की उत्पत्ति होती है और फिर यह व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है। वो बिच्छू फिर पूछते है की हे  बुद्ध अब हमें क्या करना चाहिए? तथागत बोले की सबसे पहले उन बीजों को बोना बंद कर दो, जो कड़वा फल देता है। फिर बुद्ध कहते हैं, हर काम को होश के साथ करो।

ये होश  इसका मतलब यह नहीं होता कि हर काम को उलटे सीधे तरीके से करो। इसका मतलब ये होता है कि हर काम को करने से पहले उसका परिणाम क्या होगा? ये जानो। क्या हुआ? काम करने से आपको छनीक आनंद मिलता है। या  छनिक लाभ मिलता है। तो ये काम का कोई अर्थ नहीं है। जिसप्रकार अश्लील विचारों से हमें थोड़ी देर के लिए आनंद मिलता है। और बाद में हम अपने आपको कोसते हैं। यह अचानक लाभ के गिनती में आते हैं।

कोई भी काम करो, तो अपने आप से पूछो कि वह काम हम क्यों कर रहे हैं? उससे हमें क्या लाभ होगा? क्योंकि हम अपने जीवन में बहुत से ऐसे काम जाने अनजाने में करते हैं। जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता। बुद्ध कहते हैं हर चीज़ को सम्यक रखो। चाहे वो सुनना हो, बोलना हो या फिर देखना हो। क्योंकि ये हमारे पांच इन्द्रिय मन के द्वार है। इसी इंद्रियों से हमारे मन को भोजन मिलता है। जितना ज्यादा और गलत तरीके से हम इसे भोजन देंगे, हमारा मन उतना ही शक्तिशाली हो जाएगा। इसीलिए जितना भोजन जरूरत है उतना ही इस मन को देना चाहिए।

और इस तरह वो बिच्छू बुद्ध के बातों से संतुष्ट हो गया। बुद्ध की बातों से वो अभी छू अपने जीवन को देखने का नजरिया बदलता रहा और वह अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ता है। दोस्तों, इस कहानी से अगर आपको कुछ भी सीख मिला। इसी तरह के मोटिवेशननल स्टोरी पाने के लिए चैनल को सब्सक्राइब जरुर करे और लाइक भी कर देना,  और हाँ अगर आपको किसी काम आलस आता हैं, तो इस विडियो पर क्लिक करें, अगर आपके पास कोई सवाल है,  तो कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे, अगर कोई सवाल नहीं हैं तो यस लिखे, धन्यवाद    

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